राम जन्म लेते नहीं,
लेते हैं अवतार।
राम - राम जिसने जपा,
देते उसको तार।।1।
केवट शबरी तर गए,
दिया गीध को तार।
राम - शरण में जो गया,
उसका बेड़ा पार।।2।
सरयू के तट पर बसी,
पुरी अयोध्या धाम।
कौशल्या के अंक में,
प्रकटे प्रभु श्रीराम।।3।
बढ़ता है जब धरणि पर,
पाप कर्म का भार।
संतों की रक्षा करें ,
ईश्वर लें अवतार ।।4।
त्रेता के वह राम हैं ,
द्वापर जसुदा - लाल।
कलयुग होंगे कल्कि वे,
धारण कर करवाल।।5।
शासन जो आदर्श है ,
राम राज का रूप।
मर्यादा जिसकी नहीं ,
गिरता है भव - कूप।।6।
अर्थ - पतन कलयुग हुआ ,
मनमानी का खेल।
भ्रष्टतंत्र में दे रही ,
लम्बी सीटी रेल।।7।
कण - कण में जो रम रहा,
कहलाता वह राम।
कर्मभूमि भारत - धरा,
नमन अयोध्या धाम।।8।
मर्यादा थापित हुई ,
हुए अवतरित राम।
गूँज उठा ब्रह्मांड में ,
एक राम का नाम।।9।
राम - राम जपते रहो,
जो चाहो कल्याण।
पाप - ताप से जीव का ,
हो जाता है त्राण।।10।
जय बोलो श्रीराम की,
कर लो जीवन धन्य।
'शुभम' जीव निस्तार को,
सीताराम अनन्य।।11।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
10.11.2019 ◆ 5.45 अपराह्न।
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