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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अजगर काम न करने जाता।
पड़ा-पड़ा धरती पर खाता।।
बिना काम तन मोटा होता।
खरहे ,चूहे खाकर सोता।।
सरक-सरक थोड़ा बढ़ पाता।
अजगर काम न करने जाता।।
सभी जानते अजगर भारी।
मोटा हो जाना बीमारी।।
आलसियों से किसका नाता!
अज़गर काम न करने जाता।।
बड़ी देह दिमाग़ है छोटा।
कर्म करे तो करता खोटा।।
जैसा अज़गर वैसी माता।
अज़गर काम न करने जाता।।
देख देह भय से डर जाते।
कदम न पास कभी फटकाते।
रूप नहीं अज़गर का भाता।
अज़गर काम न करने जाता।।
श्रमकर्ता हम सब बन जाएँ।
मानव तन को नहीं लजाएँ।।
'शुभम'जोड़ श्रम से नित नाता।
अज़गर काम न करने जाता।।
🪴शुभमस्तु !
०१.०६.२०२१◆२.०० पतनम मार्तण्डस्य।
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