◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍️ शब्दकार ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
पलकों में छा जाओ साजन।
उर में आ भरमाओ साजन।।
नदिया गहरी नाव पुरानी,
गोता प्रणय लगाओ साजन।
शूल सेज पर चुभते तन में,
बाँहों में भर जाओ साजन।
सावन आया बरसीं बुँदियाँ,
झूला बाग झुलाओ साजन।
सखियाँ गातीं मधुर मल्हारें,
गाकर गीत सुलाओ साजन।
महुआ टपके गमकीं रातें,
अपने बोल सुनाओ साजन।
'शुभम' टपकती है औलाती,
इंतज़ाम करवाओ साजन।
🪴 शुभमस्तु !
२६.०६.२०२१◆४.००पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें