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✍️ शब्दकार ©
❤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
प्रियतम तेरी राह निहारूँ,
पलक -युगल से नित्य बुहारूँ,
नयन थके मम तकते राहें,
पर न कभी साहस मैं हारूँ।
-2-
दिवस न चैन रैन नहिं निंदिया,
भावे नेंक न काजर , बिंदिया,
तुम प्रियतम शृंगार 'शुभम' हो,
चीर देह के मेरे चिंदिया।
-3-
सखी हमारी झूला झूलें,
हम कैसे निज प्रीतम भूलें,
आकर प्रिय तुम पींग बढ़ाओ,
मन ही मन हम प्रमुदित फूलें।
-4-
सावन आया पड़ी फुहारें,
वन - उपवन में हरी बहारें,
काम सताए आग लगाए,
तन-मन धधक-धधककर जारें।
-5-
प्रियतम - तन की गंध सुहावे,
सुमन-सुगंध न मन को भावे,
स्वेद तुम्हारा मुझको अमृत,
प्रियाविरहिणी निशिदिन गावे
-6-
श्याम पुकारे राधा - राधा,
नेह - मिलन में कैसी बाधा,
वंशी टेर मचाए प्यारी,
योग-मिलन का कान्हा साधा
-7-
तुमको प्रणय पुकार रहा है,
वर्षों बीते बहुत सहा है,
आकर दो दर्शन प्रिय साजन,
नयन - कोर से नीर बहा है।
🪴 शुभमस्तु !
११.०६.२०२१◆१०.००आरोहणम मार्तण्डस्य।
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