रविवार, 20 जून 2021

देखो बादल बरस रहे हैं ⛈️ [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🌳 डॉ भगवत स्वरूप 'शुभम'

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देखो   बादल   बरस  रहे  हैं।

पेड़,  लताएँ   सरस  रहे  हैं।।


ठंडी  हवा   साथ    में  लाए।

बरस रहे मन को अति भाए।।

गड़-गड़ कर वे  गरज  रहे हैं।

देखो   बादल  बरस  रहे  हैं।।


पौधे  झूम - झूम  कर  नाचें।

ज्यों ग्रंथों  के  पन्ने     बाँचें।।

सभी  परस्पर  परस   रहे हैं।

देखो  बादल  बरस   रहे हैं।।


तड़तड़ करके बिजली चमके।

चाँद न सूरज भी अब दमके।।

नहीं  बाग- वन  तरस  रहे हैं।

देखो    बादल  बरस  रहे हैं।।


श्वान,कीर ,पशु ,खुशी मनाते।

सब किसान मन में हरसाते।।

हल-बैलों सँग निकल रहे हैं।

देखो  बादल  बरस  रहे  हैं।।


बूँद - बूँद   भू   पीती  पानी।

पहने  नारी   साड़ी  धानी।।

गर्मी  के फ़ल विरस रहे हैं।

देखो  बादल  बरस  रहे हैं।।


🪴 शुभमस्तु !


१२.०६.२०२१◆४.३० पतनम मार्तण्डस्य।

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