रविवार, 6 जून 2021

प्रणय 💖 [मुक्तक]

  

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                  -1-

प्रणय  से  हम  तुम  जुड़े हैं,

एक पल  भी  कब   मुड़े  हैं,

सृजन का  चुम्बक  प्रणय ये,

शून्य   के  नभ  में   उड़े   हैं।


                   -2-

तुम  प्रणय   की  रागिनी  हो,

श्रेय  की   प्रिय  भागिनी  हो,

शून्य  था  उर   बिन   तुम्हारे,

ओज   की   सौदामिनी   हो।


                   -3-

जब    प्रणय   में  साथ   होते,

जागते   हैं     हम   न    सोते,

इतर   लोकों   में भ्रमण  कर,

नव   सृजन   के   बीज  बोते।


                   -4-

तन,   हृदय   की   साधना  है,

प्रणय   भी     आराधना     है,

प्रणय    से   ही  नारि-  नर हैं,

सृजन  की  शुभ   भावना  है।


                   -5-

दृष्टियाँ     जब     चार  होतीं,

प्रणय   का    संचार     होतीं,

प्राण  दो   मिल   एक    होते,

दो    गले    का  हार    होतीं।


                     -6-

प्रणय    गूँगा     मौन    होता,

शब्द भी   फिर   कौन  होता?

बोलता  होता    प्रणय     जो,

लग  न   पाता    गहन  गोता।


                     -7-

प्रणय  है  तो   पास   भी  आ,

लाज   से   तू    दूर   मत  जा,

पलक   दो   झुकने  लगीं तव,

है  'शुभम'  ये   प्रणय -आभा।


🏕️ शुभमस्तु !


०३.०६.२०२१◆९.३० आरोहणम मार्तण्डस्य।

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