◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
हाथी आया हाथी आया।
बड़े गाँव में हाथी आया।।
एक महावत हाथी के सँग।
चलने का है बड़ा अजब ढँग।
थुलथुल हिलता चलता पाया।
हाथी आया हाथी आया।।
खम्भे - सी हैं चारों टाँगें।
देखें ज्यों ही हम सब भागें।।
लंबी सूँड़ घुमाता पाया।
हाथी आया हाथी आया।।
कमरे जैसा हाथी का तन।
कान सूप - से घंटी टन -टन।।
झाड़ू - सी दुम रहा हिलाया।
हाथी आया हाथी आया।।
तवा सदृश गज का रँग काला
दाँत बड़े दो - दो फुट वाला।।
दर्शन - मेला हमको भाया।
हाथी आया हाथी आया।।
केला, गन्ना , पीपल खाता।
बड़ी शाख झट खूब चबाता।।
शुभ गणेश को शीश नवाया।
हाथी आया हाथी आया।।
🪴 शुभमस्तु !
३०.०६.२०२१◆६.३०पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें