निज शौचालय बैठकर ,
सेल्फ़ी ले लो मित्र।
वरना वेतन रुक जाएगा,
जल्दी भेजो चित्र।।1
बनवाया तुमने नहीं,
यदि शौचालय गेह।
शिक्षक की ये नौकरी,
होता है सन्देह।।2
अधिकारी की नज़र में ,
शिक्षक झूठा चोर।
घर शौचालय के बिना,
शौच करे किस ठौर।।3
ऊपर से नीचे तलक,
की सेल्फ़ी ही होय।
पहुँचे ज्यों स्कूल में,
देंय सफ़ाई रोय।।4
सीडी बनवा कर सभी,
टीचर लाओ शीध्र।
बी एस ए डी एम सब,
को पहुंचाओ शीघ्र।।5
अधीनस्थ को डाँटते,
'फीसर "ईमानदार"।
जाते होंगे खेत में,
मत झूठी सेल्फ़ी डाल।।6
बी ई ओ भी क्या करे,
सिर पर दंड प्रहार।
ऊपर जाएंगे आँकड़े,
खुले वेतन के द्वार।।7
एक के ऊपर एक है,
सबके ऊपर एक।
ए सी में बैठा हुआ ,
क्यों मजबूरी देख?8
बिना परिस्थिति देख वह,
करे आदेश प्रसार।
ऊपर वालों की सभी,
झेले शिक्षक मार।।9
वेतन की धमकी मिली,
निज शौचालय अनिवार्य।
जो आज्ञा कह कर चला,
"शुभम" गृह सिर धार।।
शुभमस्तु!
©✍डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
(सीतापुर की एक वर्तमान घटना से प्रेरित। )
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