मंगलवार, 29 मई 2018

कोई हमसे सीखे !

शेखी बघारना  कोई  हमसे सीखे
भूसे मेंलठ मारनाकोई हमसे सीखे

अपनी प्रशंसा में हम बड़ेमाहिर हैं,
मियाँ मिट्ठू बनना कोई हमसे सीखे।

हमारी  ही नींव पर देश जन्मा है,
इतिहास को सुधारना हमसे सीखे

बातें बनाने के हम बड़े  डॉक्टर हैं,
बातों बातों में रिझाना हमसे सीखे

भले ही कढ़ाई हमारी लकड़ी की,
कढ़ाई में खिचड़ी बनाना हमसे सीखें।

मौन  रहने  से देश    नहीं  चलता,
लफ्फाजियों सेचलाना हमसे सीखे

मज़हबी मुद्दे भी उठाना जरूरी है
मजहब के वास्ते चलाना हमसे सीखे

यही तो रीति है पुरानी इस  कल्चर की
छीन कर खाने की कोई हमसे सीखे।

किए थे अलाउद्दीन ने हमले अनगिन
कुछ उनसे भी सीखना हमसे सीखे।

हम तो चिल्ला चिल्ला के कहते हैं
तिल को ताड़ बनाना हमसे सीखे।

हमारी तलवारों   से हवा डरती है,
जुबां से हवा बनाना हमसे सीखे।

क्या लगा रखा है महंगा  महंगा
महंगाई से विकास लाना हमसे सीखे।

विश्वगुरु का दर्जा हमें प्राप्त "शुभम"
पूर्वजों को गरियाना हमसे सीखे।

हम नहीं सुधरेंगे   कसम खाई है,
"शुभम" गाड़ना पनारा भी हमसे सीखे।

शुभमस्तु!
© ✍डॉ.भगवत स्वरूप"शुभम"

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