ये दुनिया एक बगीचा है,
वक़्त ने क्षणों से सींचा है।
कहीं फूल खिले कहीं जंगल है,
कहीं शूल चुभे कहीं मंगल है।
कहीं सरिता हैं कहीं सागर हैं,
कहीं झरना कुदरत का आगर है।
ऊँचे पर्वत कहीं नीचा है,
सब सुंदरता ने सींचा है।
ये दुनिया...
युग बीते सदियाँ बीत गईं,
पल-पल कर गागर रीत गई।
जो रीता है भर जाना है,
याद आना है बिसराना है।
कहीं दरियाँ कहीं गलीचा है,
कोई तट पर कोई अधबिचा है।
ये दुनिया ....
नभ सूरज चाँद सितारे हैं,
भू गिरि सर सरिता नारे हैं।
सागर की महिमा है जहान,
इससे वंचित है कौन जान!
मंदिर मस्जिद और गीता है,
हर पल अतीत ही जीता है।
ये दुनिया...
नर युवती युवा कुमारी है,
महकी इनसे जग क्यारी है।
नित ध्वंश सृजन का खेल चले,
और भंग जुड़न का मेल चले।
मानव तन धर कोई पशु चीता है,
खर तो खर ही धी - रीता है।
ये दुनिया....
चूहे -बिल्ली का खेल यहाँ,
शूलों-फूलों का मेल यहाँ।
मानव - दानव की जंग नित्य,
हारता झूठ जीतता सत्य।
"शुभम" बागबां की नीति प्रीति,
दिन- रात बहकती राजनीति।
ये दुनिया एक बगीचा है,
वक्त ने क्षणों से सींचा है।
💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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