शनिवार, 26 मई 2018

दुनिया एक ड्रामा है

ये    दुनिया    एक      ड्रामा    है,
चाहिए    सबको    बस   नामा है।
सब    रंगमंच   के     ऊपर   हैं,
कोई आसमान  कोई   भूपर  हैं।
कोई नायक  है   कोई खलनायक,
कोई   निर्देशक   कोई   है गायक।
कोई   फुलस्टॉप  कोई   कॉमा है,
बदले रंग     बदले     जामा    हैं।
ये दुनिया...
कोई   हँसता   है   कोई    रोता है,
कोई  खाता  है  कोई    बोता   है।
मुँह से  कहता    कुछ  और  बोल,
चाहता  हृदय   कुछ  और   तोल।
नर  देह    मगर   मन   वामा   है,
बाहर सित   अंदर    श्यामा    है।
ये दुनिया ....
कोई  नेता   है   कोई   अभिनेता,
निज हुनर का  सत्त्व  सदा  लेता।
कोई  व्यापारी   कोई  व्यभिचारी ,
कोई तांत्रिक मांत्रिक   अभिचारी।
सबका   इक लक्ष्य     दिखाना  है,
इस जग   जगती से   कमाना   है।
कुछ करो   कहो    बस हाँ-हाँ है,
ऐसे     कर्तव्य       निभाना     है।
हर    चेहरा    एक    मुखौटा   है,
नेता   बेपेंन्दे   का      लोटा    है।
जिस   ओर पेंदे   का वजन  बढ़े,
उस ओर 'सुजन'के  चरण   पड़े।
जातियों  में    देश   बंटवाना  है,
चाहे फिर गुलाम   हो   जाना है।
ये दुनिया....
वस्त्रों     के   ऊपर     देशभक्ति,
मुख में अमृत  वही   पूर्ण   तुष्टि।
जनता   को    मूर्ख    बनाना  है ,
खुद  मोरी   से   बच   जाना   है।
नाटक    का      ताना -बाना   है,
सबने   मन   में   ये     थाना  है।
ये दुनिया...
चिड़िया  चरित्र   की   रही  नहीं,
वह उड़कर किस दिशि ओर गई।
क्या    नौकरशाही    क्या   नेता,
थोड़ा    देकर       ज्यादा   लेता।
"शुभं"   रामराज्य  यूँ   लाना  है,
चाहे फिर गुलाम  बन  जाना है।
ये   दुनिया       एक    ड्रामा   है,
चहिए   सबको   बस   नामा   है।
शुभमस्तु!
✍डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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