गुरुवार, 31 मई 2018

झूठ का परचम

झूठी छिछली इन शानों  पर
मार    गिराना    आता    है। 
फिर  लहूलुहाती  लाशों पर 
परचम  लहराना  आता  है। 

ढोंगी     बातें     ढोगी आँखें
पर मूर्ख     बनाना आता है। 
सरकारी    धोकेबाजों    का 
परचम   लहराना  आता है।

सच      बोलो     तो    सही 
आवाज    दबाना  आता है। 
भड़काऊ   तालीमों      का 
परचम  लहराना  आता  है।

झूठे     इतिहासों           से ,
वरना     उपहासों         से 
मुद्दे    भटकना    आता  है। 
धर्म-जाति      आडंबर   का 
परचम   लहराना  आता है।

जन    को    जानवर    बना 
दंगे     भड़काना   आता है। 
इन  कत्ल  के ठेकेदारों का 
परचम  लहराना   आता  है

रोयेगा    भी    गाएगा    भी 
तू   ही  तो चुनकर लाता है। 
विरोध   तो  कर ,फिर देख
तू    ही   गद्दार  कहाता है।
पर भक्त हुआ कि बेपरवाह
परचम   फहराता जाता है।

©✍🏻 भारत

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