रविवार, 27 मई 2018

माँ

माँ    की    ममता
कोई    न    समता
आजीवन     कोई
उऋण  न   बनता।

तू       ही      थी
इसलिए  तो मैं हूँ
तेरा    ही    एक
पदचिन्ह तो मैं हूँ।

तेरे    बिन   क्या
कुछ    है     मेरा
तेरा ही अस्तित्व
बिखेरा।

 जन्म      दिया
सह कष्ट हज़ारों
पाला      पोसा
दिवस   हज़ारों।

गिना   न    तूने
दिवस    न रातें,
अब    तो   बस
तेरी   ही    बातें।

रह -    रह      याद
सताती           तेरी
सजल      नयन हैं
स्मृति           तेरी।

जन्म -   जन्म  में
तुझसे        जन्में
सब         सद्गुण
मम तनमन पनपें।

मेरी       प्रथम   गुरु
तू                अम्मा
कर्मठ            बनूँ
सद्ज्ञान      सुकर्मा।

भगवत   तेरा   सुत
इस       जग     में
"शुभं"       कर्मरत
जीवे     भव     में।

सदा     रहे    सिर
आशीष        तेरा
तू   मेरी     अम्मा
मैं      सुत   तेरा ।।

💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ.भगवत स्वरूप "शुभम"

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