बुधवार, 30 मार्च 2022

चेतन-भावी चैत 🛕 [ दोहा ]

 

[चैत, उपवास,प्रतीक्षा,निर्णय,मनमीत]

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✍️ शब्दकार ©

🛕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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           🌾 सब में एक 🌾

पूनम  तिथि चित्रा नखत,देता चेतन   भाव।

चैत मास पहला 'शुभं',चले सहज जन नाव।

चैत  और  वैशाख  में,आया   है   ऋतुराज।

ज्ञान-बोध जाग्रत करे, प्रमुदित हों सब आज


माँ  दुर्गा की  साधना,पूजा विविध   प्रकार।

भक्त करें उपवास नव,करने बुद्धि सुधार।।

माँ-चरणों में वास हो,वही 'शुभम' उपवास।

मन पवित्र निर्मल रहे,नहीं जान  नर  हास।।


वासंतिक  नवरात्रि  की,हुई प्रतीक्षा   पूर्ण।

दिन आए  वे चैत्र के,करें न मन  का   घूर्ण।।

साधक बन पूजा करें,अब न प्रतीक्षा   शेष।

सात्विकता परिपूर्ण हो, अंतर्मन  का   वेष।।


निर्णय लेने  में कभी,करना  मीत   न  देर।

प्रथम  नियंत्रण आग का,करे  नहीं   अंधेर।।

निर्णय-क्षमता तीव्र हो,वही श्रेष्ठ    है  ज्ञान।

सफल प्रशासक जानिए,लेश न हो अभिमान


याद  सताए  चैत में,  कब  आए  मनमीत।

नींद न  आए  रात  में, मन भारी  भयभीत।।

जब तक मन मिलता नहीं, कहें नहीं मनमीत

मन से मन मिलता तभी, जब हो उर  में तीत


 🌾  एक में सब  🌾

निर्णय    कर    उपवास  का,

                     चैत-  मास  में     तीय।

बाट   करे  मनमीत  की,

                      अटल प्रतीक्षा   हीय।।


🪴शुभमस्तु !

३०.०३.२०२२◆८.००आरोहणं मार्तण्डस्य।

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