[चैत, उपवास,प्रतीक्षा,निर्णय,मनमीत]
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✍️ शब्दकार ©
🛕 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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🌾 सब में एक 🌾
पूनम तिथि चित्रा नखत,देता चेतन भाव।
चैत मास पहला 'शुभं',चले सहज जन नाव।
चैत और वैशाख में,आया है ऋतुराज।
ज्ञान-बोध जाग्रत करे, प्रमुदित हों सब आज
माँ दुर्गा की साधना,पूजा विविध प्रकार।
भक्त करें उपवास नव,करने बुद्धि सुधार।।
माँ-चरणों में वास हो,वही 'शुभम' उपवास।
मन पवित्र निर्मल रहे,नहीं जान नर हास।।
वासंतिक नवरात्रि की,हुई प्रतीक्षा पूर्ण।
दिन आए वे चैत्र के,करें न मन का घूर्ण।।
साधक बन पूजा करें,अब न प्रतीक्षा शेष।
सात्विकता परिपूर्ण हो, अंतर्मन का वेष।।
निर्णय लेने में कभी,करना मीत न देर।
प्रथम नियंत्रण आग का,करे नहीं अंधेर।।
निर्णय-क्षमता तीव्र हो,वही श्रेष्ठ है ज्ञान।
सफल प्रशासक जानिए,लेश न हो अभिमान
याद सताए चैत में, कब आए मनमीत।
नींद न आए रात में, मन भारी भयभीत।।
जब तक मन मिलता नहीं, कहें नहीं मनमीत
मन से मन मिलता तभी, जब हो उर में तीत
🌾 एक में सब 🌾
निर्णय कर उपवास का,
चैत- मास में तीय।
बाट करे मनमीत की,
अटल प्रतीक्षा हीय।।
🪴शुभमस्तु !
३०.०३.२०२२◆८.००आरोहणं मार्तण्डस्य।
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