शनिवार, 12 मार्च 2022

विजय 👑 [ मुक्तक ]


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✍️ शब्दकार ©

👑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम' 

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                        -1-

सत्य - मार्ग  पर जो चलता है,

दानव -दल को वह खलता है,

सदा विजय सत की ही होती,

शल्य-सेज पर  सत पलता है।


                        -2-

संघर्षों  का  नाम  विजय   है,

कष्टों की भी  अपनी  लय  है,

पीछे    मुड़कर   नहीं  देखते,

उन्हें  न होता  कोई   भय  है।


                        -3-

चलता रहा   न  रुकना जाना,

नित चलना ही  मंज़िल माना,

विजय श्री उसको  मिलती है,

जिसने लक्ष्य विजय का ठाना।


                        -4-

चींटी  कभी  निराश  न होती,

दोष   ढूँढ़ती   कभी   न रोती,

चढ़ती है   हिमगिरि के ऊपर,

बीज विजय के नित ही बोती।


                        -5-

ठान    लिया   पीछे  क्या हटना,

क्या दिल्ली क्या लखनऊ पटना,

विजय  लक्ष्य  है 'शुभम' तुम्हारा,

सुखद  विजय  की सुंदर घटना।


🪴 शुभमस्तु !


१०.०३.२०२२◆५.०० आरोहणं मार्तण्डस्य

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