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✍️ शब्दकार ©
🎊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आया फागुन।
अति मनभावन।।
होली खेलें।
रँग भी ले लें।।
पंक न डालें।
रंग उछालें।।
ले पिचकारी ।
मारें धारी।।
महके चंदन।
कर लें वंदन।।
बजें मजीरे।
धीरे - धीरे।।
फूल खिले हैं।
गले मिले हैं।।
सब फगुनाए।
धूम मचाए।।
🪴 शुभमस्तु !
११.०३.२०२२◆६.०० आरोहणं मार्तण्डस्य।
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