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✍️ शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जय !जय!!प्रभु भोले शिव शंकर ।
रक्षा करें विश्व की हर - हर।।
आग युद्ध की भीषण भारी।
रक्षा करें रुद्र त्रिपुरारी।।
काँप रही यूक्रेनी धरती।
रसिया की मानवता मरती।।
चलते तोप, मिसाइल , गोले।
हरें कष्ट शशिशेखर भोले।।
तांडव रोक शांति को लाएँ।
कालकंठ शिव दृष्टि घुमाएँ।।
कोई सबल अबल को मारे।
मानव क्यों न उसे धिक्कारे।।
पुतिन अहंकारी हठधारी।
पश्चिम की दुनिया ललकारी।।
भूतनाथ, कामारि , कलाधर।
रोकें युद्ध पिनाकी हर -हर।।
जेलेन्स्की का मान बढ़ाएँ।
सत्य -शिखर प्रभु अनघ चढ़ाएँ।।
हिंसानल नित दहक रहा है।
यूक्रेनी ने ज़ुल्म सहा है।।
उमाकांत, जगदीश, जटाधर।
ज्योति जगाएँ अत्रि , प्रभाकर।।
सर्वनाश की धमकी देता।
बनता रसिया विश्व- विजेता।।
अमरीका भी मौन पड़ा है।
उधर रूस विक्षिप्त अड़ा है।।
जन - धन हानि रोक सर्वेश्वर।
सुख - समृद्धि लाएँ प्रलयंकर।।
जन - धन ध्वंश न देखा जाता।
क्यों न पुतिन अब भी शरमाता।।
हे महेश ! सारंग !! पुरंदर!
रक्षा करें विश्व की हर - हर।।
🪴शुभमस्तु !
०१.०३.२०२२◆११.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।
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