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✍️ हरफ़नमौला शब्दकार©
❤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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डॉ. राकेश जी कमाल कर दिया,
रंग उछाला धमाल कर दिया।
छुपे हुए रुस्तम निकल बाहर आए,
हमारा दिल भी बेहाल कर दिया।
कभी - कभी तो मैदान में उतरा करिए,
ग़ज़ल जो कह दी तो जमाल कर दिया।
मुस्करा रहे हैं आज मुकुट सक्सेना जी,
फाड़ डाली है पेंट रुमाल कर दिया।
'शुभम' का आशीष अनुज भी ले लें,
मेरे जवां दिल को गुलाल कर दिया।
🎊 बुरा न मानों होली है। 🎊
🪴 शुभमस्तु !
१८.०३ .२०२२◆९.५० आरोहणं मार्तण्डस्य।
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