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समांत:आने।
पदांत :लगे।
मात्राभार :20.
मात्रा पतन:शून्य।
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✍️ शब्दकार :
❤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आज भँवरे सुमन को रिझाने लगे
झूमते - झूमते पास आने लगे
लाज को छोड़ कलियाँ खड़ीं हैं बहुत
देख कलियाँ सभी मुस्कुराने लगे
ढोलकों की गली में बड़ी धूम थी
लोग गाने लगे ढपढपाने लगे
देख खिड़की खुली चाँद उसमें खड़ा
छोकरे नाचते फ़ाग गाने लगे
चोलियाँ कसमसाती दहकती रहीं
थाप दे - दे के बाजे बजाने लगे
कोकिलों में हुई कूकने की ललक
आम्र - पादप सहज बौराने लगे
श्याम की याद में राधिका खो गईं
स्वप्न में ही 'शुभम' भरमाने लगे
🪴 शुभमस्तु !
१४.०३.२०२२◆७.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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