मंगलवार, 22 मार्च 2022

कर्तव्य 🌞 [ मुक्तक ]


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✍️ शब्दकार ©

🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                         -1-

कर्तव्य   से     मुख   मोड़ना,

निज लक्ष्य को   ही   छोड़ना,

अधिकार  से     पहले    करें,

 निज कर्मपथ  क्यों  तोड़ना?


                       -2-

कर्तव्य   जो    अपना     करे,

साफल्य  उस   नर   को  वरे,

आलस्य क्षण भर   का न  हो,

दुख,   कष्ट   वह  अपने   हरे।


                        -3-

कर्तव्य  रविकर   ने     किया,

विश्व    का   तम   हर  लिया,

अपनी    धुरी    पर     घूमती,

भू  ने सुखद    जीवन   दिया।


                        -4-

कर्तव्य    से      संसार     है,

वरना   जगत   निस्सार     है,

आलस्य  नर    की  मीच  है,

कर्तव्य       मूलाधार        है।


                        -5-

कर्तव्य    को     पहचान   लें,

करणीय को  यह   जान   लें,

अधिकार  तो मिल    जाएँगे,

यह भाव उर   में    ठान   लें।


🪴 शुभमस्तु !


२२.०३.२०२२◆७.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।


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