सोमवार, 14 मार्च 2022

फ़ाग गाने लगे 🌹 [ गीतिका ]


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✍️ शब्दकार :

❤️  डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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       सुमन      आज     भौंरों    को रिझाने   लगे।

   झूमते   -    झूमते     पास   आने      लगे।।


लाज  को   छोड़  कलियाँ  खिलीं  हैं बहुत,

देख    कलियाँ      सभी   मुस्कुराने   लगे।


ढोलकों   की   गली  में  बड़ी धूम    थी,

लोग       गाने   लगे    ढपढपाने   लगे।


देख  खिड़की  खुली  चाँद उसमें   खड़ा,

छोकरे       नाचते     फ़ाग   गाने    लगे।


चोलियाँ        कसमसाती    दहकती     रहीं,

थाप   दे  -  दे   के    ढोलक  बजाने     लगे ।


कोकिलों   में      हुई  कूकने की     ललक,

आम्र   -    पादप       सहज   बौराने  लगे।


श्याम    की  याद   में  राधिका   खो  गईं,

स्वप्न  में     ही     'शुभम'  भरमाने   लगे।


🪴 शुभमस्तु !


१४.०३.२०२२◆७.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।

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