रविवार, 26 अगस्त 2018

ये कैसा रक्षाबंधन है!

दसियों खबरें रोज़ रेप की
बहनें लुटतीं नित्य देश की
गली सड़क मेड़ों खेतों पर
इज्ज़त बची नहीं बेटों पर
ये माटी है   या    चंदन है!
ये   कैसा   रक्षाबंधन  है ?

बड़े - बड़े  कानून  बनाये
काले कोट पहन   वे आये
गरमा गर्म   बहस होती हैं
बहनें    शर्मसार    रोती हैं
फाँसी   का   गलबन्धन है
ये   कैसा   रक्षाबंधन    है ?

पशु से भी बदतर मानव है
उससे   अच्छे  तो दानव हैं
कोरे आदर्शों  की बात करें
मौका मिलते ही   घात करें
मर गया   हृदय - स्पंदन है
ये    कैसा  रक्षाबंधन    है?

ये मंत्री   और विधायक भी
हैं लिप्त पाप में  नायक भी
सब दिखावटी बेटी -    रक्षा
ढीले  चरित्र    ढीले   कच्छा
पापों का   घंटा   घन घन है
ये    कैसा     रक्षाबंधन   है?

बाबा भी कामुक रस लोभी
यौवन - रस प्यासे   हैं ढोंगी
नाम   रखे बढ़ - बढ़   योगी
जनता मूरख   अंधी  लोभी
रहता बाबा नित  बनठन है
ये   कैसा     रक्षाबंधन    है ?

तेज़ाब  कोई फेंकता  वहाँ
सुन्दर युवती का रूप जहाँ
ऐसे  दानव हैं   बहुत   यहाँ
ढूंढो इक मिलते  बीस यहाँ
कैसा  बहनों  का   क्रंदन है
ये   कैसा      रक्षाबंधन   है ?

कामुक कीड़े  वीभत्स हृदय
कितने हैं ऐसे  मनुज  सदय
बाहर कुछ  अंदर  मैल भरा
भारत माँ आँचल   नहीं हरा
क्या यही मातृ अभिनन्दन है
ये    कैसा     रक्षाबंधन   है ?

बिटिया बचाओ  का नारा है
पर     पुरुष बुद्धि से हारा है
सद्बुद्धि का हुआ किनारा है
हृदय    हुआ   बजमारा    है
क्या "शुभम" यही शुभचिन्तन है
ये कैसा रक्षा बंधन है?

 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप" शुभम"

2 टिप्‍पणियां:

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