छपा पोज अख़बार में,
बैनर टाँग प्रचार।
कम्बल बाँटें सेठजी,
गठरी कार उतार।।21।।
सेवक मच्छर माखियाँ,
धन -भक्तों की सोच।
मान नहीं शोषण सदा,
स्वार्थ हेतु उत्कोच।।22।।
जातिभक्त नेता खड़ा,
देशभक्ति से दूर।
मिट्टी का ही हो भले,
उसका काम ज़रूर।।23।।
वोट सभी को चाहिए ,
लाभ मात्र निज जाति ।
ऐसे नेता से भला ,
नेता जाति विजाति।।24।।
जातिभक्त नेता सभी,
मेढक - टर्र समान।
पड़े कूप टर्रा रहे,
कुगति देश की हान।।25।।
फैशन की अति भक्ति का,
लम्बा फटा पुरान।
फ़टी जींस में झाँकता,
फैशन -भक्त महान।।26।।
तन ढँकने के आवरण ,
नहीं रहे अब वस्त्र।
ध्यानाकर्षण के बने,
मारक मोहन अस्त्र।।27।।
किसी भिखारी से लिए,
माँग भीख में वस्त्र।
युवा - युवतियाँ गर्व से,
दिखलाते परमास्त्र।।28।।
गिरी गिरी अब ये गिरी,
नारी हाई हील।
ज्यों सूजे की नोंक पर,
उड़े धरा पर चील।।29।।
ऊँचा दिखने के लिए ,
अच्छा है उपचार।
ऊँची सैंडिल पहन लो,
पढ़'-लिखना बेकार।।30।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
🍀 डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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