गुरुवार, 17 जनवरी 2019

भक्त -चालीसा [छन्द:दोहा] (भाग:3)

छपा पोज   अख़बार में,
बैनर      टाँग      प्रचार।
कम्बल   बाँटें     सेठजी,
गठरी  कार उतार।।21।।

सेवक  मच्छर  माखियाँ,
धन -भक्तों   की   सोच।
मान  नहीं शोषण सदा,
स्वार्थ  हेतु उत्कोच।।22।।

जातिभक्त    नेता  खड़ा,
देशभक्ति       से       दूर।
मिट्टी  का    ही   हो  भले,
उसका काम ज़रूर।।23।।

वोट   सभी   को  चाहिए ,
लाभ मात्र    निज जाति ।
ऐसे     नेता     से   भला ,
नेता जाति विजाति।।24।।

जातिभक्त   नेता   सभी,
मेढक  -   टर्र      समान।
पड़े     कूप     टर्रा    रहे,
कुगति देश की हान।।25।।

फैशन की अति भक्ति का,
लम्बा     फटा        पुरान।
फ़टी  जींस   में    झाँकता,
फैशन -भक्त महान।।26।।

तन   ढँकने    के  आवरण ,
नहीं    रहे     अब     वस्त्र।
ध्यानाकर्षण      के    बने,
मारक मोहन अस्त्र।।27।।

किसी भिखारी   से लिए,
माँग   भीख    में    वस्त्र।
युवा  - युवतियाँ  गर्व  से,
दिखलाते परमास्त्र।।28।।

गिरी  गिरी   अब ये गिरी,
नारी         हाई      हील।
ज्यों  सूजे  की  नोंक पर,
उड़े धरा पर चील।।29।।

ऊँचा   दिखने   के  लिए ,
अच्छा      है      उपचार।
ऊँची सैंडिल    पहन लो,
पढ़'-लिखना बेकार।।30।।

💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
🍀 डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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