आओ हम नववर्ष मनाएँ,
नव आशा का दीप जलाएँ।
बीता विगत नए का स्वागत,
शुभ कर्मों में रहें सदा रत,
नाचें - कूदें हर्ष मनाएँ,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
समयबद्धता रवि से सीखें,
नई कल्पना कवि में दीखे,
शशि-साशीतल हृदय बनाएं,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
पानी सा निर्मलतम मन हो,
कर्मठतामय अपना तन हो,
क्षमाशीलता उर में लाएँ,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
धरती माता धैर्य सिखाती,
अंक लिए निज नेह जताती,
सुखदसमीरण-सा बन जाएं,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
हो विस्तार गगन -सा मन में,
तपते हुए अनल - सा तन में
रुकें नहीं आगे बढ़ जाएं,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
प्रभु का वंदन अर्चन कर लें,
मानव तन मानवता उर लें,
बच्चों-से निश्छल बन जाएं,
आओ हम नववर्ष मनाएँ।
सदा प्रकृतिसंग रहना सीखें,
पर के दोष रहें अनदीखे,
'शुभम'सत्यशिवमार्ग बताएँ।
आओ हम नववर्ष मनाएँ।।
💐 शुभमस्तु !
✍🏼 रचयिता ©
💞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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