तुमसे मिलने रिझाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
मीठी बातों से लुभाने आया,
विकास की गंगा बहाने आया।
तुम्हें नीचे से उठाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया ।।
कार बाइकों की बड़ी रैली देखो,
नोट चन्दा से भरी थैली देखो।
अपनी ताकत को दिखाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
मेरे कान नहीं मात्र मुख मेरा,
घुसता ही नहीं इनमें दुःख तेरा।
अपनी वाणी से रिझाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
तुमसे मिलना न मेरी मज़बूरी है,
तेरे मेरे बीच बड़ी दूरी है।
तुझसे नजदीकियाँ बढ़ाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
तुम बड़े भोले हो , मैं भाला हूँ,
तुम हो कुंजी और मैं ताला हूँ।
उसी ताले को खुलवाने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
मैं तुम-सा ही पर अलग मन मेरा
मैं थैली हूँ तुम्हीं हो धन मेरा।
मतों की सौगात माँगने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
बातों के बतासे ही खिलाता हूँ,
नीर गंगा का नित पिलाता हूँ।
शुभम शुभ बात बताने आया,
फिर वही गीत सुनाने आया।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम'
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