शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

मेरा देश एक स्वेटर है [अतुकान्तिका]


दो कोमल कलाइयाँ 
जिनमें दो पंचांगुलियाँ
थामे हुए सलाइयाँ
स्वेटर की  बुनाइयाँ,
खुलते हुए गोले रंगीन
बने हुए स्पंजी महीन
डालते हुए फंदे पर फंदे
उलझते सुलझते
कहीं न कहीं
तब जाकर बुना गया
एक स्वेटर,
जो पहले ही चुना गया।
 ×          ×         ×

मेरा देश एक स्वेटर है,
जिसमें सबकी अपनी 
टर -टर है,
वैसे तो ये स्व -टर है
फिर भी अलग-अलग 
टर -टर है।

सलाइयाँ हैं गोले हैं,
रंग हैं  संग हैं,
असंग हैं सत्संग हैं 
कुसंग हैं,
कोई इधर भाले, 
कोई उधर भोले,
कोई बादाम 
कोई छोले,
बोले अनबोले,
फंदे पर फंदों की बुनाहट, 
रंगीन गोलों की सरसराहट,
उकताहट छटपटाहट
उधेड़ना बुनना,
किसी की सुनना
न सुनना
अपनी इच्छा, 
जैसी जिसकी शिक्षा,
शॉल, स्वेटर, दस्ताने, जरसी,
बुनने की अपनी -अपनी मरजी।

मेरा देश एक स्वेटर है।

सलाइयाँ हैं हम सब,
कुछ भी चुनें ,
कुछ भी बुनें, 
स्वतंत्र  जो हैं!
अपनी -अपनी धुन,
जिसे चाहो चुन,
गोलों को उधड़ना ही है,
स्वेटर तो बुनना ही है,
पसंद अपनी-अपनी
सोच अपनी -अपनी

मेरा  देश एक स्वेटर है।

वे कुछ अलग नहीं हैं,
हमने ही सौंपा है उन्हें अधिकार,
वे लफ़्फ़ाजी करें 
या अच्छे -अच्छे कार्य,
उन्हें भी बुनना है
बड़े -बड़े गोलों से,
रंग और डिजाइनों से
हम सबके लिए
स्वेटर शॉल 
जरसी या दस्ताने,
वही जानें,
हर पाँच वर्षों तक
उन्हें बुनते ही रहना है,
और हमें उनके  रंगों से
उन्हें चुनते ही रहना है,

मेरा देश एक स्वेटर है।

💐 शुभमस्तु !
✍🏼 रचयिता ©
डॉ.भगवत स्वरूप "शुभम"

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