मैं आत्मा हूँ
स्वदेश की,
परमात्मा है मेरा
महान भारत देश।
बहती हैं इसमें
गंगा -यमुना की
धमनियाँ -शिराएँ ,
मेरी देह -प्रदेश को
अहर्निश अभिसिंचित करतीं,
मष्तिष्क की राजधानी से
प्रसारित सन्देश आदेश
जिस्म के जनपदों में पालित
दस जनपद
ज्ञान और कर्म के
पाँच -पाँच दीर्घ हृस्व
जनपदाधीश मन से नियंत्रित ।
तंत्रिकाओं के सूक्ष्म संचार पथ
अदृश्य लघु -सुदीर्घ परिपथ,
प्रतिक्षण वन्दनरत
वाम वक्ष मध्य स्थित
अविरल नियमित स्पंदित हृदय
सुरक्षित संरक्षित शक्तिकेन्द्र।
क्षिति जल पावक
गगन और समीर
इन्हीं पाँचों से
निर्मित शरीर,
प्रबल चेतना सम्पन्न
त्रिवेणी इड़ा पिंगला सुषुम्ना
संगम - भूमि गंगा सरस्वती यमुना
ब्रह्मशिखर का प्रयागराज
सर्वोपरि चेतना राज,
ज्यों फहराता हुआ तिरंगा
रीढ़ -रज्जू का सुदृढ़ डंडा ।
सत रज और तम
गुणों का तंत्र,
मेरी आत्मा का प्रदेश
सजीव सक्रिय जागृत गुणतंत्र ।
यही है 'गुणतंत्र' - दिवस
जिनकी छवि की ईश:
'छवीश',
"शुभम" जन के द्वारा वरी गई,
छवीश जन वरी ,
मेरे स्वदेश की
देह -प्रदेश की
छवीश जन वरी
गुणतंत्र की छवीश जन वरी।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ.भगवत स्वरूप "शुभम"
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