सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

ऋतुराज पधारे [बाल-कविता ]

सरसों की  फूली फ़ुलवारी।
पीली -पीली  शोभा न्यारी।।

झूम -झूम कर  सरसों नाचे,
बच्चे   खड़े  पोथियाँ  बांचें,
महक रही है क्यारी-क्यारी,
सरसों की फूली फ़ुलवारी।।

गया  शीत  ऋतुराज पधारे,
खुले   सुप्त   ऊर्जा  के द्वारे,
कोयलिया  तू कूक सुना री,
सरसों  की फूली फ़ुलवारी।।

देखो   मधुमक्खी  भी आई,
मधुरस   फूलों  से भर लाई,
पीत पराग  पंख निज भारी,
सरसों की फूली फ़ुलवारी।।

पतझर  हुआ कोपलें आईं,
ज्यों लाली होठों  पर छाई,
पीपल नीम आम मनहारी,
सरसों की फूली फ़ुलवारी।।

जौ  -  गेहूँ   की  बालें  झूमीं,
तितली ने नवकलिका चूमी,
खगकलरव मोहक शुभकारी
सरसों  की फूली फ़ुलवारी।।

बौर महकने लगे आम पर,
भौंरे  गूँजे  चले   काम पर,
पछुआ बहने  लगी बयारी,
सरसों की फूली फ़ुलवारी।।

उठो  चलो   बगिया में खेलें,
फूलों  से   भर   छाई   बेलें,
'शुभम'पीत छटाअति प्यारी,
सरसों की फूली फ़ुलवारी।।

💐 शुभमस्तु !
✍🏼 रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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