राष्ट्र की रक्षा का जिसने
पढ़ लिया है पाठ,
कर्तव्य की धरती पर
जिसके चरण ऊँचे हाथ,
कर दिया जिसने सभी
अपने सुखों का त्याग,
लगने नहीं दिया कभी भी
माँ के भाल पर भी दाग़,
देश -हित अहर्निश समर्पित
माँ के चरणों में
कर दिए हैं शीश अर्पित,
वे शहीद नहीं
तो क्या हैं?
एक ही जज़्बा
जूनून बस एक ही,
जोश से भरा हुआ
लबालब जिसका हृदय,
देश! देश!! और देश!!!
न घर न पत्नी न माँ-बाप,
दुधमुँहे नन्हों के
स्नेह का ताप,
सीमा का प्रहरी
आस्था गहरी,
मार दो दुश्मन को
या मर जाओ
देश के लिए
देशवासियों के लिए
हमारे लिए
तुम्हारे लिए,
वे शहीद नहीं
तो क्या हैं?
ये मृत्यु नहीं
वीरगति है,
पुलवामा के अमर
शहीदों की
उनका इतिहास
समय के पटल पर
लिखा जाएगा
स्वर्णाक्षरों में,
नहीं की जाएगी
गणना उनकी
छ्द्मी शोषक
रक्तचूषक मच्छरों में,
लजाया नहीं जिसने
जननी के आँचल का दूध
कर्तव्य की बलिवेदी पर
चढ़ गए वे पूत,
वे शहीद नहीं
तो क्या हैं?
मत करो सियासत
न सेंको रोटियाँ अपनी,
वोट और सत्ता के लिए
बन्द करो तकरार सभी,
भेजकर देखो सीमा पर
किसी अपने
जिगर के टुकड़े को
तभी जान पाओगे
कुलवामाओं के दुखड़े को,
और कह उठोगे
वे शहीद नहीं
तो क्या हैं?
💐शुभमस्तु !
✍ रचयिता ©
डॉ.भगवत स्वरूप'शुभम'
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