सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

कोई माने या न माने

चिड़ियों को  ये  पता  है,
पड़   रहे  हैं   रोज़  दाने।
सच  बात   तो   यही  है,
कोई माने  या   न  माने।।

बाज    हैं        गिद्ध     हैं ,
चील भी हैं अति सयानी।
सभी    तो    माँस    चाहें ,
कोई  माने   या  न  माने।।

दाने    को    जो     चुगेगा,
वह    जाल    में   फँसेगा।
लालच    बुरी    बला    है,
कोई   माने  या   न माने।।

बैठे       हुए       शिकारी ,
तरकश    में  तीर  लेकर।
मौके  की    टोह   उनको,
कोई   माने   या  न माने।।

गौरेया        फ़ाख्ता     का ,
बेहाल       हो     रहा    है।
उजड़े   हैं     नीड़    उनके ,
कोई   माने    या  न माने।।

लासा    लगा    है    मीठा,
तीरों    की    नोंक   देखो।
चखते   ही   तीर   चुभना,
कोई   माने  या  न   माने।।

बड़ा    जाल   तानने   की,
गड़ रहीं  'शुभम' हैं  खूँटी।
पर    फड़फड़ा    रहे    हैं, 
कोई  माने  या   न  माने।।

💐 शुभमस्तु !
✍🏼 रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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