शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

बंदर बिल्ली और तराजू [गीत ]

बंदर  बैठा   लिए  तराजू।
रोटी नहीं खा रहा काजू।।

कभी   एक पलड़ा है भारी,
दूजी    पलड़ी   है    बेचारी,
एक गोरी एक बिल्ली कारी,
काली  ठोके साश्रु  कपारी।
मीठी भाषा हाँ जू! हाँ जू!!
बंदर   बैठा   लिए   तराजू।।

गोरी  के  संग   नैन  चलाता,
काली का ध्रुव ध्यान बंटाता,
नज़र   फिरी   गोरी  को हेर,
सिर पर  हाथ   रहा   है फेर।
देता किशमिश  मेवा  काजू।
बंदर  बैठा    लिए    तराजू।।

कहता न्याय  करूँगा पक्का,
लगे न मन को  कोई धक्का ,
नज़र बची  और  डंडी  मारी,
काली    देख   रही   बेचारी।
फड़क रही गोरी  की बाजू।
बंदर   बैठा   लिए    तराजू।।

काले   कोट   पहनने  वाले,
बंदर   के   पापा   के  साले,
जो  चाहो  इनसे  करवाओ,
गोरे  को काला  बुलवाओ।
जो   छापें   वे छोटे भ्रा'जू।
बंदर  बैठा   लिए   तराजू।।

चोर      चोर    मौसेरे  भाई,
जिसने   बोला शामत आई,
न्यायाधीश   न्याय का बंदर,
घुड़की    देता  कर  दे अंदर।
'शुभम'कह रहा ना जू ना जू।
बंदर    बैठा   लिए   तराजू।।

💐शुभम!
✍🏼रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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