मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

सृष्टि के कर्ता हे भगवान ! [गीत]

सृष्टि  के कर्ता  हे भगवान!
भुवन  में तेरी   ऊँची शान।।

तूने   रचे   सकल  नर -नारी,
कोई   गोरा    काला   भारी,
जितने जन  उतने  नव चेहरे,
पोषण रक्षा हित ध्वज फहरे,
सबकीअलगअलग पहचान,
सृष्टि के  कर्ता  हे भगवान!!


भिन्न स्वरों में मुखरित वाणी
बुद्धिमान  जग मानव प्राणी,
जगत चराचर  में  शुभकारी,
नर -नारी की  महिमा न्यारी,
चमत्कारवत   मानव - ज्ञान,
सृष्टि के कर्ता    हे भगवान!!

मन रहस्य  का बड़ा पिटारा ,
जितना  खोजा  अपरम्पारा,
प्रभु  तू अंशी    मानव  अंश,
कृष्ण कभी  तू बनता  कंस,
अद्भुत तेरी  हर  लय   तान,
सृष्टि के कर्ता   हे भगवान!!

एक धरा   की   मिट्टी  जाए,
रंग - बिरंगे     पुष्प    उगाए ,
अलग सुगंध अलग आकार,
वृक्ष लताएँ   विविध  प्रकार,
सबका रखते हो प्रभु ध्यान,
सृष्टि के कर्ता   हे भगवान!!

अम्बर में उड़ते खग कितने,
कलरव उनका   जैसे सपने,
निज नीड़ों में शावक पाल,
रहते हैं   पेड़ों   की    डाल,
उनको   करते   दाना  दान,
सृष्टि के कर्ता  हे भगवान!!

गौरेया   कपोत    पिक  मोर,
कलरव करते  हैं  शुक  भोर,
मुर्गा - बांग  कोकिला  गान,
सुना रही   झेंपुल निज तान,
जगत की सुषमा की हैं खान
सृष्टि के कर्ता    हे भगवान!!

गैया   मैया      कहलाती   है,
अमृता-सा पय पिलवाती है,
बकरी  भेड़  भैंस  पशु  सारे,
मानव संगी      सदा   सहारे,
बिल्ली मौसी   घर का श्वान,
सृष्टि के कर्ता   हे भगवान!!

देखो  जंगल  का भी मंगल,
चीता शेर  भालुओं का बल,
हाथी हिरन  स्यार भी रहते,
उछल-कूद बंदर कुछ कहते
तुम्हें रहता  है सबका ध्यान,
सृष्टि के कर्ता  हे भगवान!!

कहीं बोलता  वन में तीतर,
छिपा बटेर झाड़ियों भीतर,
'तु ही''तु ही' एक चिड़िया बोली
खंजन बया नहीं अनबोली,
नीलकंठ की  अपनी शान,
सृष्टि के कर्ता हे भगवान!!

मछली मेढक  या  घड़ियाल,
जलचर का सरि सिंधु धमाल
मगरमच्छ कच्छप  जलजीव,
जल ही जीवन जल संजीव,
सब पर  तेरी   कृपा   महान,
सृष्टि के कर्ता    हे भगवान!!

गंगा यमुना  उच्च हिमाचल,
मर्यादा में   सागर  का जल,
वन उपवन की शोभा प्यारी,
भरी हुई जग  की फुलवारी,
गेहूँ   गन्ना     लहरें     धान,
सृष्टि के कर्ता हे भगवान!!

आम   सेव   अंगूर    ख़जूर,
भरे स्वाद रस   फल भरपूर,
मधुर पपीता    बेल   अनार,
नीबू   कदली    मिर्च अचार,
प्रेम -रंग    में     रंगता  पान,
सृष्टि के कर्ता  हे भगवान!!

भिंडी  गाजर  गोभी  आलू,
लाल टमाटर    मटर रतालू,
पालक मैंथी शलजम मूली,
जिमीकंद जमीन   में भूली,
कटुक करेला पर गुणवान,
सृष्टि  के कर्ता हे भगवान!!

दूध छाछ घृत दधि नवनीत,
खोया मीठा   परम  पुनीत,
रोटी    पूड़ी  पुआ  पराँठा,
गराम पकौड़ी बेसन आटा,
सहस्रों व्यंजन  का संधान,
सृष्टि के कर्ता  हे भगवान!!

मीठा मधु  मधुमक्खी  देती,
मधु रस फूलों का भर देती,
जड़ी बूटियां औषध लातीं,
स्वस्थ संदेसा जग फैलातीं,
प्रकृति में  भरे हुए  वरदान,
सृष्टि के  कर्ता हे भगवान!!

सूत  कपास विविध रंगीन,
मोटी  हल्की   ऊन  महीन,
पेंट शर्ट    साड़ी  या  धोती,
बारह मास  बदन पर होती,
आवरण तन के अनुसंधान,
सृष्टि के कर्ता   हे भगवान!!

तेरी   माया   तू   ही   जाने,
भूले से  नहिं जायँ  भुलाने,
प्रतिपल नए  करें प्रभु खेल,
प्रभु से नहीं किसी का मेल,
'शुभम'लोकत्रय में गुणगान,
सृष्टि के कर्ता  हे भगवान!!

💐 शुभमस्तु!
✍🏼 रचयिता©
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...