◆1◆
गीदड़ों की मौत का ये,
अब बुलावा आ गया !
ग़म का साया देशभर में,
ये अचानक छा गया!!
जागते शेरों को जिसने,
वार कर ललकार डाला।
आख़िरी ये वक़्त उसका,
मौत का बनने निवाला।।
◆2◆
मुँह कुचलना है सपोलो,
भाग कर जाते कहाँ?
दूध पीकर जहर उगलो,
चैन से रहते यहाँ।।
जन्म लेते खाते-पीते,
देश भारत की जमीं!
मर चुकी है आँख की,
थोड़ी-बहुत बाक़ी नमीं।
◆3◆
धिक्कार पाकिस्तान तुझको,
धिक्कार है धिक्कार है।
बाप को आँखें दिखाता ,
जन्मना मक्कार है।।
अब हमें बरदास्त करना,
एकदम संभव नहीं।
नाम मिट जाए धरा से,
अबनिकटवह वक़्त ही।।
◆4◆
एक पुलवामा के बदले,
दस की ताकत है हमें।
सामने आकर दिखा दम,
कायराना हरकतें।।
आ गए अपनी तरह हम,
बन धुँआँ उड़ जएगा।
पहचानने वाले न होंगे,
सिर न धड़ रह पाएगा।।
◆5◆
जोश जज्बाऔ' जुनूं का
हौसला 'गर देखना।
ओट टट्टी की न छिप तू,
(दो)दो हाथकरके देखना
सेना बुरके में छिपी क्यों,
आतंकियों को भेजता।
मर रहा जो भूख से नित,
दण्ड चूहा पेलता।।
💐 शुभमस्तु !
✍ रचयिता©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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