जो दिल ग़म से ख़ाली है।.
उसकी रोज़ दिवाली है।।
दीप सुकूँ के रौशन हों,
ये रुत ही खुशियों वाली है।
रोग रहित रखना तन को,
इस चमन का इन्सां माली है।
नहीं बोलते मीठे बोल,
वह बोल नहीं है गाली है।
आज्ञाकारी जो संतान,
कनक भरी वह थाली है।
जो उपकारी हैं मन से,
उसने ही जन्नत पा ली है।
'शुभम' पास ग़र दौलत हो,
बारह मास दिवाली है।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🥜 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम '
www.hinddhanush.blogspot.in
19.10.2019◆2.0अपराह्न
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