शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

गो हैं मानव इन्द्रियाँ [ दोहे ]


गो   हैं      मानव  -  इन्द्रियाँ,
वर्द्धन     का       शुभ   पर्व।
गोवर्धन       कहते       इसे,
ब्रजवासी     सह     गर्व।।1।

रूप , गंध,  रस , परस  की ,
ज्ञान  -   इन्द्रियाँ        चार।
श्रोत्र   शब्द   का   केंद्र   है ,
पंच  -   ज्ञान    उपचार।।2।

पाँच     कर्म    की   इन्द्रियाँ,
मुख ,  कर ,  पद ,  मलद्वार।
उपस्थ     इन्द्रिय      पाँचवीं,
मानव     को    उपहार।।3।

सदुपयोग       से    इन्द्रियाँ ,
करतीं       विकसित   रूप।
दुरुपयोग   जो    कर   रहा,
गिरता      है भव - कूप।।4।

देह     सु -  रथ   का सारथी,
मन        सुंदर         देहीश।
दस   घोड़े      रथ    खींचते,
झुका - झुका निज  शीश।।5।

मन  से    बाहर     कौन  है,
दस    अश्वों       का  जोड़।
जिधर    कहे    मन  वे चलें,
ग़लत - सही  दें  मोड़।।6।

गो -धन   तन  के    बैंक हैं,
करते                दानादान।
घटता  बढ़ता    मनुज  का ,
मान   और    सम्मान ।।7।

तन  के    बाहर  गाय    ही,
है     गोधन    का      रूप।
पोषण   करती    दूध    से,
जिसका अमिय स्वरूप।।8।

गौ  माता    का    रूप    दे ,
करते       पूजन        रोज़।
कोटि देव  गो -  तन     बसें,
ऋषि मुनियों की खोज।।9।

गो -  धन    की   रक्षा   करें ,
भारत    का          संस्कार।
हिंदी     हिन्द     महान    हैं,
खो दें क्यों अधिकार ।।10।

दस    दोहे    दस     इन्द्रियाँ ,
गो - धन    का    शुभ   रूप।
'शुभम ' ईश  है   मन   प्रबल,
धवल     चंद्रिका    रूप।।11

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🏆 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

www.hinddhanush.blogspot.in

26.10.2019 ◆11.25 पूर्वाह्न

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