सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

रावणीय प्लास्टिक बनाम प्लास्टिकीय रावण [ विधा : सायली ]


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पॉलीथिन
दूर        करो
ख़ूब फोड़ो पटाखे ,
इससे   सुधरेगा 
पर्यावरण ?

कम्पनियाँ
जिंदा   रहीं ,
प्रदूषण का रावण
मरेगा   नहीं
प्लास्टिक।

काम 
सब  विरोधाभासी 
करता  है    प्रशासन ,
जिंदा    हैं
जनक ।

न 
रहेगा  बाँस
न बजेगी बाँसुरी,
बाँस - वन
मिटाओ।

निरीह
दुकानदारों को
व्यर्थ    में       मत 
सता         मारो 
उबारो।

विकल्प 
पहले            हो ,
संकल्प    बाद      में
प्लास्टिक - पलायन 
से।

पटाख़े
ख़ूब  फोड़ो
सारी - सारी रात,
सुधरेगा  इससे
पड़ौसी।

चीनी
बिना मिठास
आएगी   नहीं  'शुभम',
ख़ूब  ख़रीदो
आतिशबाजियां।

आया 
विजयदशमी पर्व,
पुतलों को  जलाओ,
कालिख़    को
छिपाओ।

रावण 
जिंदा  है ,
जिंदा  हैं  राम-
जब  हमारे 
यहाँ।

रावण 
गली -गली 
सरेराह घूमते हैं,
राम कहाँ 
इतने ?

लंका 
सोने   की ,
इतना  बुरा  सोना ,
फिर  क्यों 
कामना ?

आग 
लगा दी
सोने  की  लंका ,
जल उठी 
प्रलयंकारी।

आराम 
नहीं   है 
रामों  को  कभी,
रावण भक्तों
 से।
( 'रावण - भक्तों  से ' अथवा 'रावण , भक्तों से ' भी )

रक्तबीज
रावण   का 
बोया   है   बीज ,
कितना   भी
जलाइए!

साधन
मनोरंजन   का
बन   गया   रावण,
बच्चों   का 
खिलौना ।

खेलते 
बड़े  भी
जलाकर  रावण,
खुश   होते
सभी।

राख
रावण  के
पुतलों   की  बची,
अगले   वर्ष
पुनरुद्भवन।

💐 शुभमस्तु  !
✍रचयिता ©
⛳ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम '

www.hinddhanush.blogspot.in

06अक्टूबर 2019 , 12.15 अपराह्न।

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