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पॉलीथिन
दूर करो
ख़ूब फोड़ो पटाखे ,
इससे सुधरेगा
पर्यावरण ?
कम्पनियाँ
जिंदा रहीं ,
प्रदूषण का रावण
मरेगा नहीं
प्लास्टिक।
काम
सब विरोधाभासी
करता है प्रशासन ,
जिंदा हैं
जनक ।
न
रहेगा बाँस
न बजेगी बाँसुरी,
बाँस - वन
मिटाओ।
निरीह
दुकानदारों को
व्यर्थ में मत
सता मारो
उबारो।
विकल्प
पहले हो ,
संकल्प बाद में
प्लास्टिक - पलायन
से।
पटाख़े
ख़ूब फोड़ो
सारी - सारी रात,
सुधरेगा इससे
पड़ौसी।
चीनी
बिना मिठास
आएगी नहीं 'शुभम',
ख़ूब ख़रीदो
आतिशबाजियां।
आया
विजयदशमी पर्व,
पुतलों को जलाओ,
कालिख़ को
छिपाओ।
रावण
जिंदा है ,
जिंदा हैं राम-
जब हमारे
यहाँ।
रावण
गली -गली
सरेराह घूमते हैं,
राम कहाँ
इतने ?
लंका
सोने की ,
इतना बुरा सोना ,
फिर क्यों
कामना ?
आग
लगा दी
सोने की लंका ,
जल उठी
प्रलयंकारी।
आराम
नहीं है
रामों को कभी,
रावण भक्तों
से।
( 'रावण - भक्तों से ' अथवा 'रावण , भक्तों से ' भी )
रक्तबीज
रावण का
बोया है बीज ,
कितना भी
जलाइए!
साधन
मनोरंजन का
बन गया रावण,
बच्चों का
खिलौना ।
खेलते
बड़े भी
जलाकर रावण,
खुश होते
सभी।
राख
रावण के
पुतलों की बची,
अगले वर्ष
पुनरुद्भवन।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
⛳ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम '
www.hinddhanush.blogspot.in
06अक्टूबर 2019 , 12.15 अपराह्न।
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