सजीं मंच पर सुंदर झाँकी।
नौ रूपों में दुर्गा माँ की।।
शैलसुता माँ वृषभ सवारी।
ब्रह्मचारिणी तपती न्यारी।।
चंद्रघंटिका - महिमा बाँकी।
सजी मंच पर .....
चौथी हैं कूष्मांडा माता।
आदिस्वरूपा सृष्टि विधाता।।
सिंहवाहिनी मनहर कांती।
सजी मंच पर .....
मातु पंचमी स्कंदमाता।
ज्ञानी बनता जो नर ध्याता।।
हैं कार्तिकेय अंक में माँ की।
सजी मंच पर .....
चार फ़लों को देने वाली।
कात्यायनि माँ बड़ी निराली।।
सिंह विराजति शिवम सुहाती
सजी मंच पर .....
सर्व सिद्धियाँ देने वाली।
कालरात्रि माँ खप्पर वाली।।
गर्दभ पर शोभित माँ बाँकी।
सजी मंच पर .....
महागौरी हैं अष्टम शक्ति।
वृष आरूढ़ा की कर भक्ति।।
दृष्टि न देख -देख कर छाकी।
सजी मंच पर ....
सिद्धिदात्री नौवीं माता।
कमलासन ही उन्हें सुहाता।।
सिंहसवारी ही है माँ की।
सजी मंच पर....
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🚩 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
07अक्टूबर2019.महानवमी
3.15 अपराह्न।
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