पूजा गो - धन की करें ,
गोरस पाएँ रोज़।
तन बल धी आयुष बढ़े,
ऋषि - मुनियों की खोज।।
ऋषि - मुनियों की खोज,
अन्य पय नहीं बराबर।
भू पर सुंदर सोम ,
जगत में यही उजागर।।
अजा भैंस का दूध ,
नहीं गोरस सम दूजा।
सबसे पहले करें ,
'शुभम' गोधन की पूजा।।1।
वंशी वाले की कृपा ,
है गोवर्धन - धाम।
महावृष्टि की इंद्र ने,
रक्षक श्री घनश्याम।।
रक्षक श्री घनश्याम,
बचाये सब ब्रजवासी।
बढ़ा इंद्र का कोप ,
साथ आए अविनाशी।।
करते जय जयकार ,
कान्ह तुम बड़े निराले।
युग - युग तक आभार,
करें हम वंशी वाले।।2।
कान्हा के उपकार को,
क्यों भूले संसार।
जन्म - जन्म करते रहें ,
हम तेरा आभार।।
हम तेरा आभार,
'शुभम ' के अन्तर्यामी।
जग के पालनहार ,
चराचर के प्रभु स्वामी।।
गोवर्द्धन श्री शैल,
श्याम का शुभ उपहार।
जाएँ कैसे भूल ,
कान्हा के उपकार।।3।
तन गोवर्द्धन - धाम है,
दस गो करें निवास।
दसम कर्म औ' ज्ञान का,
जिनमें विशदाकाश।।
जिनमें विशदाकाश,
यही रथ के दस घोड़े।
करें नियंत्रण पूर्ण ,
देह को दस दिशि मोड़े।।
इन्द्रिय षष्ठ ललाम,
सदा करती सु - काम है।
मत समझो उपहास ,
तन गोवर्द्धन - धाम है।।4।
ब्रजवासी हर्षित मगन,
आया पावन पर्व।
गोधन की पूजा करें ,
भरें हर्ष औ ' गर्व।।
भरें हर्ष औ' गर्व ,
सजाए घर - घर गोधन।
गोबर से निर्माण ,
आत्मा को सद बोधन ।।
रक्षक राधेश्याम ,
परम आत्मा अविनाशी।
'शुभम ' करे जयकार ,
आज हर्षित ब्रजवासी।।5।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
28.10.2019 ◆3.50 अपराह्न।
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