लगा पटाखे देह में,
बाण मारते राम।
रावण भी मरना नहीं,
अगर अमर हैं राम।।1।
नाक काटना बहन की,
नहीं नेक था काम।
बदला लेना था मुझे,
हरी जानकी राम।।2।
सीता पत्नी आपकी,
हो जाती यदि वाम।
छुआ नहीं तन - रोम भी,
सत्य तथ्य हे राम!!3।
चरितहीन मुझको कहा,
बहुत किया बदनाम।
घर - घर रावण आज हैं,
क्या कहते हो राम??4।
गली - गली रावण बसे,
उर - उर छाया काम।
कलियुग में आचार अब,
शेष कहाँ हे राम !!5।
घर का भेदी जन्म ले ,
नहीं किसी भी धाम।
कलियुग में भी पूज्यवर,
नम्र निवेदन राम ।।6।
अरबों - खरबों की करें,
आतिशबाजी झाम।
पर्यावरण को रो रहे-
क्यों , बतलाओ राम।।7।
वर्षों जो तप से जला,
उसे आग क्या घाम?
रावण भी जलना नहीं ,
जब तक भू पर राम ।।8।
जला रहे पुतले सभी,
कस्बा नगर तमाम।
धुआँ विषैला भर रहे ,
फल बतलाओ राम।।9।
वर्ष - वर्ष जिंदा रहे,
जले न हड्डी चाम।
रावण भी है नित अमर,
जब तक जिंदा राम।।10।
बद अच्छा बदनाम से,
तपता आठों याम।
हनन हुआ रावण - चरित,
'शुभम ' बन गए राम।।11।
💐 शुभमस्तु !!
✍रचयिता ©
🏹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
05अक्टूबर 2019◆ 5.20 अपराह्न।
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