गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

भगवान का निर्माण [ अतुकान्तिका ]



सुना है
सृष्टि का सृजन
किया है
भगवान ने,
पर भगवान को
किसने बनाया ?
उसके अस्तित्व का
अहसास कराया ,
चिह्न प्रश्न का भी लगाया !
पर भगवान को
किसने बनाया ??

किसी ने कहा 
अरूप निराकार ,
दूसरे ने कह दिया
सगुण साकार ,
द्वैत अद्वैत का झमेला
खड़ा कर दिया ,
तिल को ही बढ़ाकर
पहाड़ कर दिया !

मानव -स्वरूप  को ही
अपने ही रूप को
कह दिया भगवान,
वाह रे इंसान !
किसी हाथी घोड़े
मछली या कोयल के
भगवान क्या 
इंसान होंगे ?
हाथी की कल्पना
निस्संदेह हाथी ही होगी,
घोड़ा घोड़े को ही
मानेगा भगवान,
मछली ,कोयल के
रहेंगे पानी में
या उड़ते हुए
पेड़ों पर भगवान!
वाह रे स्वार्थी इंसान!

बहुत ऊँची 
उड़ाई है 
कल्पना की उड़ान,
तभी जान पाया हूँ
भगवान का निर्माण ,
भगवान का यथार्थ स्वरूप,
उसके संसार में
सुलभ विविध रूप,
इतिहासों में नहीं,
भूगोल में भी नहीं,
खगोल के अनन्त 
आकाश में,
है भगवान की
अपरिसीम सत्ता,
पर उसके भी ऊपर
मानवीय कल्पना की,
करोड़ों सूर्यलोकों से भी
ऊपर की सत्ता।

ये भक्त ही हैं 
जो भगवान को
बनाते हैं,
अपने -अपने साँचों में
मिट्टी के लोंदे से
भगवान को सजाते हैं,
गधे को घोड़ा 
बनाते हैं।

कितने गधे हैं
जो अंधभक्तों के
भगवान बने
पूजे जाते हैं,
आरती उतरवाते हैं,
असली भगवान
सड़कों पर 
धूल खाते हैं,
गधे शॉल -पुष्प माला से
सम्मानित किए जाते हैं,
और भगवान 
अपने भगवानत्व पर
पछताते हैं।

स्वार्थी अंधभक्तों का
अनुपम सृजन,
भगवान,
आज का भगवान,
अतीत का भगवान,
कल का भगवान,
विश्वासों का भगवान,
स्वार्थों का भगवान,
अंधभक्तों का सृजन,
भगवान।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

www.hinddhanush.blogspot.in

03अक्टूबर2019★7.15
अपराह्न।

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