सरिता - जल में झिलमिल करते।
दीप अँधेरा जग का हरते।।
मनी हमारी ख़ूब दिवाली।
दिये , खिलौने ,खीलों वाली।।
घर - आँगन प्रकाश से भरते।
दीप अँधेरा .....
दीप जले माटी के लाल।
खुश हम सारे सब खुशहाल।।
अम्बर से ज्यों तारे झरते।
दीप अँधेरा .....
अँधियारे से हम डरते थे।
धक- धक दिल सबके करते थे।
उजियारे में ख़ूब विचरते।
दीप अँधेरा .....
आँगन में भी बनी रंगोली।
दीदी मेरी माँ - सी भोली।।
बना रही हम भी रङ्ग भरते।
दीप अँधेरा .....
सजी छतों पर दीप - कतारें।
झिलमिल ज्यों करते हों तारे।
किन्तु पटाखों से हम डरते।
दीप अँधेरा .....
लक्ष्मी - पूजन करते पापा।.
मम्मी के सँग लिए पुजापा।।
चाँदी - सोना पैसे धरते।
दीप अँधेरा .....
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🔆 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
26.10.2019 ◆ 2.00PM
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