सत्य कहना गुनाह है,
झूठ को अब तो पनाह है,
फिर भी सच को जो अपनाए,
उसकी काँटों में राह है।1।
धर्म की आड़ में चाहे कुछ करो,
कपड़े रँगो या तिजोरी भरो,
धर्म के ख़िलाफ़ जो बोला कभी,
तो जिंदा के जिंदा दफ़न हो रहो।2।
अपनी - अपनी गाते हैं,
औरों की झुठलाते हैं,
जो हैं छोटे दिल वाले,
ख़ुद को बड़ा जताते हैं।3।
भेड़ के पीछे भेड़ - कतार,
आगे चले ईश्वर - अवतार,
सोच - समझ सब छींके पर,
अगला जाने जीत या हार।4।
वही नागनाथ वही साँपनाथ,
सब अंधे झुकाते अपना माथ,
सब मतलब के बन्दे हैं,
वर्ना कौन है किसके साथ।5।
बोतलें हैं एक -सी लेबिल अलग - अलग,
दिखाने को दिखते सब अलग - थलग,
एक ही मछली कभी तू खा कभी मैं,
एक ही जाम से पीना है अलग-अलग।6।
टी.आर.पी. का धमाल है,
वी. आई. पी. का कमाल है,
उससे ऊँची रहे पगड़ी मेरी,
भले ही जेब में फटा रुमाल है।7।
ज़र - ज़र शरीर फिर भी चंगे हैं?
कहते हैं लोग जिन्हें गंदे हैं,
इंसान से बन जाएँ जो जानवर,
करते हैं यहाँ वही दंगे हैं।8।
सफेद - पोस कितना चंगा है
दरअसल वो सियार रंगा है,
हक़ीक़त इसकी जानते सारे,
इसके दामन में सिर्फ दंगा है।9।
धर्म सभी भले, अनुयायी नहीं,
जो झगड़े करें, वे न्यायी नहीं ,
ऊँचे - ऊँचे झंडे हैं सिर्फ़ अहं के,
धर्म क्या है ,जहाँ भाई भाई नहीं।10।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🍃 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
04अक्टूबर2019 ★8.15 अपराह्न।
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