शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

ग़ज़ल


इन्सां   की   मनमानी   देख।
ज़बरन    खींचातानी   देख।।

नहीं    वक़्त     की   पाबन्दी,
झूठी    बात    बनानी    देख।

पानी   को    बरबाद     करे ,
सजल  आँख  का पानी देख।

जर - जोरू   पर  नियत बुरी,
इन्सां    की     नादानी  देख।

दर्द  , दिलों   में पाले   रखना,
सबकी   यही   कहानी  देख।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🍎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

www.hinddhanush.blogspot.in

12.10.2019 ◆5.00 अपराह्न।

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