इन्सां की मनमानी देख।
ज़बरन खींचातानी देख।।
नहीं वक़्त की पाबन्दी,
झूठी बात बनानी देख।
पानी को बरबाद करे ,
सजल आँख का पानी देख।
जर - जोरू पर नियत बुरी,
इन्सां की नादानी देख।
दर्द , दिलों में पाले रखना,
सबकी यही कहानी देख।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🍎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
12.10.2019 ◆5.00 अपराह्न।
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