बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

जब तक उर में रहे अँधेरा [ गीत ]



जब   तक  उर  में रहे अँधेरा,
दीप  जलाने  से  क्या होगा!
कुटिया -कुटिया हई न रौशन,
महल सजाने से क्या होगा !!

अपने  घर  के  सब  राजा  हैं ,
दीवारों    में   कैद    हो  गए।
निर्धन  की  अनदेखी    करते,
खाया - पीया  और सो  गए।।
हँस-हँसकर  फोटो खिंचवाए,
छपने  भर से  ही  क्या होगा !
जब तक  उर   में रहे  अँधेरा,
दीप  जलाने  से  क्या होगा!!

कपटी  क्रूर  कुचाली  मानव,
मात्र   दिखावे   में मतवाला।
रिक्त   झोंपड़ी   अश्रु  बहाती,
कोई   नहीं    देखने   वाला।।
दीप - कतारें   छत  मुँडेर पर,
कुटिया के तम का क्या होगा!
जब  तक  उर  में  रहे  अँधेरा,
दीप जलाने  से  क्या  होगा !!

इतने भी  मत   पाँव  पसारो,
चादर तन कर फट जाती है।
जिनके  पास अभाव  भरे हैं,
उनकी  भी तो कट जाती है !!
समता  के  समरूप   सूत्र में,
सब  बंध जाएँ तब क्या होगा!
जब   तक उर  में  रहे  अँधेरा,
दीप  जलाने  से क्या  होगा !!

दीप - दीप  से  दीपक  जलते,
अँधियारा सब   हट  जाता है।
मन से मन के दीप  जलाकर,
मानस का तम फट जाता है।।
नहीं  चलाओ  आतिशबाजी,
सघन   प्रदूषण से क्या  होगा !
जब  तक   उर  में  रहे अँधेरा,
दीप जलाने  से  क्या  होगा !!

पूड़ी, खीर ,  खिलौने,  खीलें,
उनको  भी  दें  जो  भूखे   हैं।
जिनके तन पर वसन  नहीं हैं,
नेहरहित   हैं  जो  रूखे  हैं।।
भेज रहे   उपहार   उसी  घर ,
खुदगर्जी से   ही क्या  होगा !
जब  तक  उर  में  रहे अँधेरा,
दीप  जलाने  से  क्या होगा!!

धन की  देवी   शुभम  लक्ष्मी,
सदा   चंचला  ही    होती  है।
उद्यम , धर्म , कर्म  से   आती,
सुख के  बीज यहाँ बोती है।।
यदि  चरित्र  को बचा न पाए,
लक्ष्मी जी का घर क्या होगा!
जब  तक  उर  में रहे अँधेरा,
दीप  जलाने  से क्या होगा !!

बचा   रहे  पुरुषार्थ  नीतिगत,
जीवन  में   नित  दीवाली  है।
पर -  उपकारी  भाव  उरों में-
हों तो,नित्य 'शुभम'ताली है।।
सदा सत्य की जय न हुई तो,
इस मानवता का क्या होगा!
जब   तक  उर  में रहे अँधेरा,
दीप जलाने  से  क्या होगा !!

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

www.hinddhanush.blogspot.in

16अक्टूबर 2019●3.45 अपराह्न।

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