शहर से अच्छे मेरे गाँव।
बने क़ुदरत के हाथों गाँव।।
प्रकृति के साँचे का निर्माण,
प्रकृति का आँचल घेरे गाँव।
यहाँ का पानी शुद्ध बयार,
धूप माटी के मेरे गाँव।
गाय भैंसों फसलों के बीच,
कूक कोयल के टेरे गाँव।
सवेरा करते मुर्गे मोर,
'शुभम' संजीवन मेरे गाँव।।
💐 शुभमस्तु !
✍ रचयिता ©
🍊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
12.10.2019 ◆5.15 अपराह्न।
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