पार हो गए तो पार,
अन्यथा डूबे मँझधार।
हिम्मत है हौसला भी,
नहीं मानी है मगर हार।
खटखटाता ही रहूँगा मैं,
जब तक खुलेगा नहीं द्वार।
बिना समझे कहता नहीं,
हर शब्द है अनमोल उपहार।
शागिर्द बन जाएगा 'शुभम',
खुल ही जायेगा वह द्वार।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🍋 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
29.09.2019◆11.30 पूर्वाह्न।
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