सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

जेलेंस्की रणधीर 🔱 [ दोहा गीतिका ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🔱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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युद्ध नाम है नाश का ,नहीं शांति का नाम।

रूसी  यूक्रेनी  लड़े,  हुआ  न युद्धविराम।।


धोखा  दे भड़का दिया, अमरीका  ने  देश,

चार  कदम  पीछे हटा, वादा किया  हराम।


वादा  अपना भूलकर, भड़काई  है  आग,

लड़ो, लड़ो , लड़ते रहो,नहीं हमारा  काम।


अहंकार  विस्तार का, पाले पुतिन  सरोष,

कूद  पड़े  मैदान   में , होती धूम-धड़ाम।


साहस का प्रतिमान हैं,जेलेन्स्की रणधीर,

नहीं छोड़ना देश को, नहीं छोड़ना   धाम।


देशभक्त   रणबाँकुरे,   यूक्रेनी नर  -  नारि,

देश  बचाने  के  लिए ,दौड़े किया प्रणाम।


गोले, तोप,मिसाइलें,सुलगी भीषण  आग,

त्राहि -त्राहि मचने लगी,हुए विधाता  वाम।


पुतिन आज बहरा हुआ,देता बात न  कान,

संहारक  दानव  बना, धमकी का   पैगाम।


'शुभम' ईश रक्षा करें, दुनिया में  हो शांति,

युद्धों का होता नहीं,कभी भला  परिणाम।


🪴शुभमस्तु !

२८.०२.२०२२◆४.४५

पतनम  मार्तण्डस्य।


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