शनिवार, 30 जनवरी 2021

नेता सदा वही होता [ गीत ]


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✍️ शब्दकार©

🙊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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जो  जनता  को  साथ ले चले,

नेता      सदा    वही    होता।

जिसके   पीछे  दौड़े   जनता,

नेता वह  कभी  नहीं  होता।।


लोक  बोध  खोया   जनता ने,

आजादी  के   सँग   धोखा है।

नेता   रँगा     हुआ   रंगों   से,

रैपर   तो  खाली  खोखा है।।

सपने   मात्र    दिखाने वाला,

नायक  उचित    नहीं  होता।

जो जनता को साथ  ले चले,

नेता    सदा    वही    होता।।


डर-डरकर   जीती हो जनता,

तंत्र   मात्र    है    लोक  नहीं।

लोक   नहीं   तो देश  नहीं है,

धोखे    की वह   व्यथा रही।।

निजता आत्मघात की जननी,

अपने   लिए     शूल    बोता।

जो जनता को  साथ ले चले,

नेता   सदा   वही      होता।।


तानाशाहों    ने   अतीत    में,

जनता     को   डरवाया    है।

बन   बैठे   भगवान  स्वयं ही,

सदा  ज़ुल्म    ही    ढाया  है।।

लोकतंत्र   में   हर   वाणी का,

अपना   एक     धर्म   होता।

जो  जनता को साथ ले चले,

नेता   सदा     वही    होता।।


जो मिलता  स्वीकार करें वह,

मत   विरोध   उसका करना।

एक   शब्द  भी बोल गए तो,

जेलों   में      होगा    मरना।।

हम   अवतारी   हैं   ईश्वर के ,

वही    उगे    जो    मैं  बोता।

जो जनता  को  साथ ले चले,

नेता   सदा    वही     होता।।


तज विरोध अनुरोध कर रही,

नहीं  रही   अब   वह जनता।

जितना  ही  तुम झुकते नीचे,

नेता  और    गया    तनता।।

आज  बदलती  है परिभाषा ,

अपराधी   वह    नर  होता।

जो जनता को  साथ ले चले,

नेता     सदा    वही    होता।।


अपना   स्वत्व  मिटा सत्ता में,

जनता     बस    आरोही  है।

तना   शुष्क   पर्वत - सा नेता,

'शुभम' सत्य  अब  द्रोही है।।

चिल्लाओ  मत  पीछे  आओ,

बनो     भेड़     लद्दू    खोता।

जो जनता  को  साथ ले चले,

नेता    सदा    वही    होता।।


🪴 शुभमस्तु !


03.01.2021◆1.30अपराह्न।

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