रविवार, 31 जनवरी 2021

माँ भारती [ गीत ]



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✍️शब्दकार©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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वत्सलमयी   माँ       भारती।

नित  नेह  से      पुचकारती।।

शत -शत  तुम्हें   करते नमन।

आशीष   दे    माता   प्रमन।।

माँ   जन्म    दे   लाई    धरा।

हर  कष्ट,   दुःख  तुमने हरा।।

सुख,  शांति ,  समृद्धि  धारती। 

वत्सलमयी    माँ     भारती।।


पावन  चरित   दो   माँ हमें।

शुभ  कर्म में मति, मन रमें।।

हम  काम  तेरे    आ  सकें।

कर्त्तव्य , धर्म   निभा सकें।।

हर  शत्रु     का   संहार  हो।

हर  जीव  का  उपकार हो।।

तुम   पाप    को   संहारती।

वत्सलमयी    माँ   भारती।।


बहती     रहे     गंगा   सदा।

कावेरी , यमुना ,     नर्मदा।।

सिंचन  करें  जल का  सदा।

हर जीव-जन को शुभप्रदा।।

पंछी, विटप,  फुलवार  को।

देतीं  सुहृद    उपहार   जो।।

अघ -  ओघ   से   उद्धारती।

वत्सलमयी  माँ     भारती।।


फहरे      तिरंगा     उच्चतम।

कर  ध्वस्त सारे   भेद - भ्रम।।

हम  मात्र  मानव    ही   रहें।

जो  सत्य हो  मुख   से कहें।।

प्रभु भक्ति ,श्रद्धा ,   नेह का।

संचार    हो   उर ,  मेह का।।

माँ   डूबते     को      तारती।

वत्सलमयी     माँ   भारती।।


सब  कर्म -  फल  से जी रहे।

जो   दे   विधाता   पी   रहे।।

फ़िर  कौन छोटा  या   बड़ा।

सत्कर्म  से   भर   लें  घड़ा।।

मुख  पर वही   जो उर बसे।

कहना वचन यदि रस रिसे।।

करता 'शुभम' तव  आरती।

वत्सलमयी   माँ    भारती।।


🙏🇮🇳🙏जय माँ भारती।


🪴 शभमस्तु !


३१.०१.२०२१◆५.००आरोहणम मार्त्तण्डस्य।

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