सरस्वती -स्तवन
[ चौपाई ]
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✍️ शब्दकार©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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उर में मातु शारदे आओ।
वीणा की झनकार सुनाओ।।
शब्द-शब्द में भर दो गुंजन।
अक्षर-अक्षर स्वर औ'व्यंजन।
करता मैं कर जोड़े विनती।
बारहखड़ी सिखाओ गिनती।
आराधक मैं माता तेरा।
काव्य- ज्ञान दे सदा घनेरा।।
हंसवाहिनी, वीणावादिनि।
श्रीप्रदा माँ ज्ञान- निनादिनि।।
विमला, वसुधा ,सुरसा ,देवी।
भगवत सदा रहे पद सेवी।।
सुरपूजिता, सुनासा, विद्या।
त्रिगुणा,शुभदा मिटा अविद्या।
सौम्या, कामप्रदा, माँ कांता।
नीलभुजा,अम्बिका,सुशांता।।
विद्यारूपा , पद्मलोचना।
सौदामिनि , माँ पापमोचना।।
माँ गोमती, भोगदा, भामा।
गोविंदा, माँ शिवा, सुनामा।।
विधुवदनी, वैष्णवी ,सुमाता।
'शुभम'सदा माँ तुझको ध्याता।
🎍 शुभमस्तु !
01.01.2021◆4.00अपराह्न।
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