शनिवार, 2 जनवरी 2021

  सरस्वती -स्तवन

               [ चौपाई  ]

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✍️ शब्दकार©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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उर  में   मातु   शारदे  आओ।

वीणा की  झनकार सुनाओ।।


शब्द-शब्द  में  भर दो गुंजन।

अक्षर-अक्षर स्वर औ'व्यंजन।


करता मैं   कर  जोड़े विनती।

बारहखड़ी सिखाओ गिनती।


आराधक   मैं     माता   तेरा।

काव्य- ज्ञान  दे  सदा घनेरा।।


हंसवाहिनी,     वीणावादिनि।

श्रीप्रदा माँ ज्ञान- निनादिनि।।


विमला, वसुधा ,सुरसा ,देवी।

भगवत सदा  रहे  पद सेवी।।


सुरपूजिता,   सुनासा,  विद्या।

त्रिगुणा,शुभदा मिटा अविद्या।


सौम्या, कामप्रदा,  माँ कांता।

नीलभुजा,अम्बिका,सुशांता।।


विद्यारूपा ,       पद्मलोचना।

सौदामिनि  , माँ पापमोचना।।


माँ गोमती,  भोगदा,   भामा।

गोविंदा, माँ  शिवा, सुनामा।।


विधुवदनी,   वैष्णवी ,सुमाता।

'शुभम'सदा माँ तुझको ध्याता।


🎍 शुभमस्तु !


01.01.2021◆4.00अपराह्न।


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